भारतीय इतिहास में पहला शतक बनाने वाला खिलाड़ी | First Century man of Indian cricket
भारत का पहला शतक बनाने वाला खिलाड़ी

पूरी दुनिया के साथ साथ भारत में भी क्रिकेट की शुरुवात टेस्ट से हुई। इस शुरुवाती दौर में भारत ने भी बहुत से टूर्नामेंट विदेशी धरती पर और अपने धरती पर खेले जिसमे इसे जीत भी हासिल हुए और शिकस्त भी मिली। भारत के नाम क्रिकेट के इतिहास में बहुत रिकॉर्ड हैं जो पहली पहली बार हुवे हैं जिसमे से एक है रनों का शतक जो पहली बार किसी एक खिलाड़ी द्वारा बनाया गया वो हैं लाला अमरनाथ। इन्होने भारत की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पहला शतक बनाया। इन्होने इंग्लैंड के खिलाफ 1933 में मुंबई जिमखाना में 118 रन की पारी खेली। लाला के शतक से दर्शकों के अंदर इतना उत्साह बढ़ गया था की वे खेल के मैदान में घुस गए और वहीँ पे फूल मालाओं से लाद दिए।
लाला का जन्म 11 सितम्बर 1911 को अविभाजित भारत के कपूरथला में हुआ था। लाला भारत के पहले आलराउंडर भी थे जिनका बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में महारथ हासिल था। लाला ने क्रिकेट खेलने के अलावा चयनकर्ता, मैनेजर, कोच और प्रस्तोता के रूप में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
इनको स्वतंत्र भारत का पहला कप्तान भी बनाया गया 1947-48 में ऑस्ट्रेलिया के दौरे के समय। लाला ने टेस्ट में एक शतक और चार अर्धशतक की मदद से 878 रन बनाए। इन्होने कुल 24 टेस्ट खेले थे और 45 विकेट इनके नाम है। प्रथम श्रेड़ी में इनका 10,000 से अधिक रन और 463 विकेट इनके नाम है। यह उपलब्धि इन्होने 186 मैच खेल के हासिल की। भारतीय खेल के इतिहास में यह हमेशा होता है की जो भी खिलाड़ी अपने खेल के दम पर ऊपर उठता है और उसका कोई अच्छा बैकग्राउंड नहीं है तो उसको इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ता है जो यह शुरू से ही चला आ रहा है जिसका जीता जागता उदाहरण लाला जी हैं। सन्न 1936 में इंग्लैंड के दौरे के दौरान इनके ऊपर "अनुशासनहीनता" का टैग लगा कर इनको स्वदेश भेज दिया गया। हालाँकि ये और इनके साथिओं ने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई थी लेकिन बात बानी नहीं जिससे इनको 12 वर्ष का बनवास झेलना पड़ा।
कहते हैं न की काबिलियत कभी भी रंग लाती है जिसके आगे हर एक को झुकना पड़ता है। वैसा ही हुवा। लाला के बेहतरीन परफॉरमेंस की वजह से चयनकर्ताओं हो हार माननी पड़ी और इनकी राष्ट्रिय टीम में दोबारा वापसी हुई। एक साल बाद इनको भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया जब ऑस्ट्रेलिया का पहला दौरा शुरू हुवा था लेकिन उस समय डॉन ब्रॅडमन बहुत बेहतरीन फॉर्म में चल रहे थे जिसके वजह से भारत को बहुत बुरी शिकस्त मिली। लेकिन बाद में इन्होने बहुत अच्छी पारी खेली जिसके वजह से इनको चारों तरफ से तारीफ मिली। ब्रैडमैन को हिट विकेट आउट करने वाले यह एकमात्र खिलाड़ी थे जिसके वजह से ब्रैडमैन ने इनको क्रिकेट का "बेहतरीन दूत" के नाम से नवाज़ा।
5 अगस्त 2000 को 88 वर्ष की उम्र में इनकी मृत्यु हो गयी। उस समय भारत के प्रधानमंत्री थे अटल विहारी बाजपेई जिन्होंने अपने शोक सन्देश में इन्हे भारतीय क्रिकेट का आइकॉन करार दिया। क्रिकेट इनके खून में बसा हुवा था।
भारत सरकार ने सन्न 1991 में खेल के क्षेत्र में पद्मा भूषण से सम्मानित किया।
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